रिकॉर्ड हाई तक कैसे पहुँचा बाजार
अगस्त 2025 में S&P 500 और नैस्डैक कंपोज़िट ने नए शिखर छू लिए। यह रैली केवल तकनीकी उछाल नहीं, बल्कि निवेशकों की सोच में बड़े बदलाव का संकेत है। साल की शुरुआत में टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव की वजह से बिकवाली दिखी थी, लेकिन नीतिगत रुख नरम होने और अतिरिक्त टैरिफ पर विराम के बाद भरोसा तेजी से लौटा। नतीजा—अप्रैल के निचले स्तरों से बाजार ने जून-जुलाई में ऐतिहासिक उछाल पकड़ा और अगस्त में रिकॉर्ड बना दिए।
ड्राइविंग सीट पर मेगा-कैप टेक हैं। एआई और सेमीकंडक्टर की मांग ने Nvidia जैसी चिप कंपनियों की आय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, जबकि Amazon की क्लाउड और ई-कॉमर्स ताकत ने अनुमान से बेहतर परिणाम दिए। इन दिग्गजों की आय ने पूरे बास्केट को ऊपर उठा दिया और इंडेक्स-स्तर पर शानदार रिटर्न बनाए। जहां कुछ महीनों पहले निवेशक जोखिम से बच रहे थे, वहीं अब गुणवत्ता और विकास की ओर पूंजी का तेज़ प्रवाह दिख रहा है।
क्यों यह रैली टिकाऊ दिखती है? सबसे पहले, एआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर कैपेक्स—डेटा सेंटर, हाई-परफॉर्मेंस चिप्स और क्लाउड सेवाएं—कई तिमाहियों का विजिबिलिटी देती है। दूसरे, सेमीकंडक्टर साइकिल में अपस्विंग दिख रहा है—स्मार्ट डिवाइस, ऑटो, इंडस्ट्रियल और एंटरप्राइज एआई वर्कलोड के कारण मांग का आधार चौड़ा है। तीसरे, डॉलर और बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने ग्रोथ और जॉब क्रिएशन में लचीलापन दिखाया है। ऊंची दरों के बीच यह मजबूती निवेशकों को संकेत देती है कि कॉर्पोरेट कमाई सिर्फ कॉस्ट कटिंग से नहीं, वास्तविक मांग से आ रही है।
शुरुआती 2025 में जो जोखिम बाजार को गिरा रहे थे—विशेषकर नए टैरिफ की आशंका—उन पर नीति में नरमी ने ब्रेक लगा दिया। वैश्विक व्यापार वार्ताओं में संवाद बढ़ा, जिससे मल्टीनेशनल्स के मार्जिन और सप्लाई चेन को राहत मिली। इस बदलाव का सीधा असर वैल्यूएशन मल्टीपल्स पर दिखा—जहां डर की वजह से डिस्काउंट मिल रहा था, वहीं भरोसे ने प्रीमियम वापस करा दिया।
टेक के अलावा भी जेबें चल रहीं हैं, लेकिन स्वीकार करना होगा कि रैली की कमान मेगा-कैप्स के हाथ में है। हेल्थकेयर और इंडस्ट्रियल्स में चयनित स्टॉक्स ने भागीदारी दिखाई, पर चौड़ाई अब भी सीमित है। इसका मतलब—इंडेक्स के शिखर पर पहुंचने में कुछ चुनिंदा कंपनियां disproportionate योगदान दे रही हैं। यह ताकत भी है और जोखिम भी, जिस पर आगे बात करते हैं।
निवेशक व्यवहार में बदलाव साफ दिखता है। अप्रैल की गिरावट में कैश में पार्क की गई रकम अब धीरे-धीरे इक्विटी में वापस आ रही है—खासकर ग्रोथ और एआई-थीम्ड फंड्स में। बायबैक अनाउंसमेंट्स ने भी सपोर्ट दिया है, जिससे प्रति शेयर कमाई (EPS) को ताकत मिली। आईपीओ पाइपलाइन में गतिविधि बढ़ी है, जो आमतौर पर ऊंचे भरोसे का संकेत माना जाता है, हालांकि गुणवत्ता फिल्टर अभी भी सख्त है।
बॉन्ड मार्केट की तरफ देखें तो फेड की नीति पर बाजार “डेटा-डिपेंडेंट” संदेश को ही कीमतों में शामिल कर रहा है। दरें ऊंची हैं, पर मुद्रास्फीति की रफ्तार कम होने की उम्मीदों ने इक्विटी के लिए स्पेस बनाया है। निवेशकों की थीसिस साफ है—जब तक आय बढ़ रही है और कैश फ्लो मजबूत हैं, वैल्यूएशन प्रीमियम टिक सकता है।
मूल सवाल—क्या वैल्यूएशन महंगे हैं? टेक और एआई से जुड़े लीडर्स में यह बहस वाजिब है। पर साथ ही यह भी सच है कि कमाई का बेस बड़ा हो रहा है, कॉन्ट्रैक्ट विजिबिलिटी बढ़ रही है और प्रॉफिट पूल सिर्फ “हाइप” से नहीं चल रहा। क्लाउड-एआई वर्कलोड, इंफेरेंस/ट्रेनिंग हार्डवेयर, और एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर में मल्टी-ईयर ट्रेंड नजर आ रहा है।
यही वजह है कि अमेरिकी शेयर बाजार ने अप्रैल के बाद से तेजी पकड़ी और अगस्त में नई ऊंचाई पर पहुंचा। यह रैली केवल एक सेक्टर-स्टोरी नहीं, बल्कि आय, नीति और सेंटिमेंट—तीनों का संगम है।

आगे क्या—जोखिम और संकेत
रिकॉर्ड बनना कहानी का अंत नहीं होता। ऊंचाई पर बाजार को बनाए रखने के लिए अगले कुछ महीने अहम होंगे। यहां वो संकेत और जोखिम हैं जिन पर निगाह रहेगी:
- कमाई का टिकाव: टेक दिग्गजों की “बीट-एंड-राइज” गाइडेंस जारी रहती है या नहीं, यह रैली की सेहत तय करेगा। किसी बड़े नाम से निराशा आई तो भावनाएं पलट सकती हैं।
- कंसेंट्रेशन रिस्क: अगर रिटर्न्स थोड़े स्टॉक्स तक सीमित रहे, तो किसी एक नाम में झटका इंडेक्स को ज्यादा हिला सकता है। ब्रेड्थ सुधरना जरूरी है।
- नीतिगत मोर्चा: टैरिफ पर नरमी कायम रहती है या नहीं, और क्या कोई नया व्यापारिक तनाव उभरता है—दोनों फैक्टर वैल्यूएशन मल्टीपल्स को प्रभावित करेंगे।
- दरें और बॉन्ड यील्ड: यील्ड में तेज़ उछाल ग्रोथ स्टॉक्स के डिस्काउंटेड कैश फ्लो मॉडल पर दबाव डाल सकता है। स्थिरता इक्विटी के पक्ष में जाती है।
- सप्लाई चेन/सेमी चक्र: चिप सप्लाई, उन्नत पैकेजिंग क्षमता और डेटा सेंटर बिल्ड-आउट में कोई रुकावट आई तो एआई थीम की गति धीमी हो सकती है।
- नियमन और नीति: एआई से जुड़ा रेगुलेशन, एंटी-ट्रस्ट बहस, और क्लाउड/डेटा नियम—इन सबका असर बड़े प्लेटफॉर्म्स के मार्जिन पर पड़ सकता है।
भारतीय निवेशकों के लिए इसका मतलब क्या है? अमेरिकी मार्केट की रैली ग्लोबल रिस्क एपटाइट सुधारती है। उभरते बाजारों में भी फंड फ्लो बेहतर हो सकता है, हालांकि डॉलर की चाल और यील्ड की दिशा इस पर असर डालती है। साथ ही, सेमीकंडक्टर और एआई सप्लाई चेन से जुड़े भारतीय नामों में थीमैटिक रुचि बनी रह सकती है—पर वैल्यूएशन और एंट्री प्राइस का अनुशासन जरूरी है।
रणनीति की बात करें तो फोकस कमाई की गुणवत्ता, कैश फ्लो और बैलेंस शीट पर रहना चाहिए। सेक्टर-रोटेशन पर नजर रखें—टेक के साथ हेल्थकेयर, इंडस्ट्रियल्स और चयनित कंज्यूमर नामों में अवसर उभर सकते हैं। इंडेक्स के बजाय थीमैटिक बास्केट या फैक्टर-ड्रिवन एप्रोच कुछ निवेशकों को बेहतर सूट कर सकता है, खासकर जब कंसेंट्रेशन रिस्क ऊंचा हो।
कुल मिलाकर, अगस्त 2025 का रिकॉर्ड हाई यह दिखाता है कि डर और अनिश्चितता से गुजरने के बाद भी बाजार कमाई और नीति संकेतों पर तेज़ी से री-रेट करता है। फिलहाल तक कहानी ग्रोथ, एआई और नीति-स्थिरता के नाम रही है। आगे का अध्याय इस बात पर लिखा जाएगा कि कंपनियां इस गति को कितनी देर तक बनाए रख पाती हैं—और क्या बाजार की चौड़ाई इस रैली को और मजबूत बनाती है।
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