आलिया भट्ट की 'जिगरा' मूवी रिव्यू: कहानी के कमजोर धागे और बेतुकी कहानी

आलिया भट्ट की 'जिगरा' मूवी रिव्यू: कहानी के कमजोर धागे और बेतुकी कहानी

आलिया भट्ट की चमक भी नहीं बचा पाई 'जिगरा' को

जब 'जिगरा' का ट्रेलर प्रदर्शित हुआ, तो आलिया भट्ट के प्रशंसक और दर्शक दोनों ही उम्मीद कर रहे थे कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाका करेगी। वसन बाला की यह निर्देशित मूवी एक ऐसे विषय को छूने की कोशिश करती है जो भावनात्मक दृष्टि से गहराई से जुड़ा हुआ है। लेकिन, अफसोस की बात है कि एक अच्छा विचार और अत्यंत प्रतिभाशाली अभिनेत्री के बावजूद, फिल्म किसी बड़े परिणाम तक नहीं पहुंच पाती। आलिया इस फिल्म में 'सत्या' के किरदार में एक वाइब्रेंट परफॉर्मेंस देती हैं। उनकी भूमिका निश्चित रूप से फिल्म का सबसे चमकदार पहलू है, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय कौशल का पूर्ण प्रदर्शन किया है।

कहानी की खामियां और अधूरी नाटकीयता

'जिगरा' की कहानी भावनात्मक बदले की कहानी का अनुसरण करती है, जिसमें एक बहन अपने भाई के लिए न्याय हासिल करने के प्रयास करती है। आलिया भट्ट द्वारा निभाया गया किरदार एक मजबूत और आत्मनिर्भर महिला को दर्शाता है जो अपने भाई के प्रेम और सच्चाई के लिए सब कुछ कुर्बान कर सकती है। लेकिन, कहानी शीघ्र ही साधारण और सतही हो जाती है। पहला आधा हिस्सा ठीक चलता है जहाँ निर्देशक वसन बाला ने सादगी पर जोर दिया है, लेकिन जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, तात्कालिकता और जटिलता का अभाव नजर आता है।

कमजोर चरित्र निर्माण और निराशाजनक क्लाइमेक्स

फिल्म का एक मुख्य पहलू भाई-बहन के रिश्ते का चित्रण है, जो भावनात्मक रूप से समृद्ध होना चाहिए था। परंतु, इसकी प्रस्तुति कमजोर है और चरमोत्कर्ष के समय यह अत्यंत खिंचा हुआ अनि दिखता है। सहायक पात्र, जैसे कि मनोज पाहवा का चरित्र, आलिया के किरदार के भाई से बेहतर ढंग से विकसित होते हैं। उनका अभिनय जोरदार है, लेकिन कहानी उन्हें और आलिया को सही मंच नहीं देती। नवागत वेदांग रैना, जो आलिया के भाई अंकुर की भूमिका निभाते हैं, दर्शकों पर कोई खास छाप छोड़ने में विफल रहते हैं।

फिल्म का अधिकांश भाग ऐसा लगता है जैसे वह आलिया भट्ट के स्टारडम को भुनाने के एक प्रयास के रूप में बनाया गया है, बजाय इसके कि वह दर्शकों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ने वाला प्रेरणादायक कथानक बन सके। फिल्म में आलिया की उपस्थिति ही मुख्य आकर्षण है, लेकिन कोई भी आकर्षक कहानी या विचार इसे सही ठहराने में असफल रहते हैं।

हालांकि फिल्म का अंत देखने के बाद आलिया की भूमिका तो सराहनीय मानी जा सकती है, परन्तु यह ध्यान देने योग्य है कि एक संगठित कहानी के अभाव में अच्छी अदाकारी भी कमजोर साबित हो जाती है। यह फिल्म आलिया के कैरियर में एक अच्छा जोड़ा जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद यह किसी अच्छे फिल्म निर्माताओं की सूची में जगह नहीं बना सकती।

फिल्म की रिलीज और दर्शकों की उम्मीदें

फिल्म की रिलीज और दर्शकों की उम्मीदें

फिल्म 'जिगरा' 11 अक्टूबर 2024 को रिलीज हुई थी, और दर्शकों के बीच उस वक्त हाई उम्मीदें थीं। यह फिल्म आलिया भट्ट और वेदांग रैना की लीड जोड़ी के साथ पर्दे पर आई थी। वसन बाला ने इस फिल्म के जरिए कुछ नया करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास अधूरा रह गया। इसके बावजूद, कुछ खास फिल्म प्रेमियों और आलिया भट्ट के प्रशंसकों के लिए यह फिल्म एक बार देखने लायक हो सकती है। इस फिल्म से हमें यह सीख मिलती है कि फिल्म के लिए एक मजबूत पटकथा कितनी जरूरी होती है।

खास बातें और सुझाव

यदि हम यही कहानी सुनहरे पर्दे पर सफल देख सकते थे तो यह जरूरी था कि पात्रों की गहराई और रिश्तों की व्यापकता को सही रूप में उभारा जाए। सहायक कलाकारों के लिए और अधिक दृश्य देने की आवश्यकता महसूस होती है ताकि वे उतने ही यादगार बन सकें जितने की मुख्य किरदार। अंततः, एक अच्छी कहानी न केवल एक उत्कृष्ट अभिनय की मंच बनती है, बल्कि वह फिल्मों को एक खास अनुभव भी देती है। अगर कोई फिल्म निर्माता इस विषय को फिर से प्रदर्शित करने की सोचे, तो यह सुझाव होगा कि कहानी को अधिक विस्तार से और गहराई से विकसित किया जाए।

जिगरा मूवी आलिया भट्ट वसन बाला बॉलीवुड फिल्म समीक्षा
रूपी शर्मा
रूपी शर्मा
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।

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