IMD ने जारी की चेतावनी: 5‑6 अक्टूबर को दिल्ली‑NCR व उत्तर के राज्यों में भारी बारिश

IMD ने जारी की चेतावनी: 5‑6 अक्टूबर को दिल्ली‑NCR व उत्तर के राज्यों में भारी बारिश

जब India Meteorological Department ने 5‑6 अक्टूबर 2025 के लिए विस्तृत मौसम पूर्वानुमान जारी किया, तो दिल्ली‑NCR, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी‑बारिश और बर्फ़ीली बौछार का अलर्ट लगा दिया गया। यह चेतावनी विशेष रूप से डॉ. नरेश कुमार (Scientific Officer F) और डॉ. अखिल श्रीवास्तव (Scientific Officer D) द्वारा जारी की जा रही अपडेट पर आधारित है, जो मौसमी व्यवधानों की निगरानी कर रहे हैं। साथ ही, अरब सागर के मध्य‑पश्चिमी हिस्से में उत्पन्न सायक्लोनिक storm Shakhti ने इस सिस्टम की तीव्रता को और बढ़ा दिया है।

पृष्ठभूमि और मौसमी कारक

पश्चिमी बाधा (western disturbance) के कारण उत्तर‑पश्चिमी भारत में इस साल पहले से ही असामान्य मौसम पैटर्न देखा गया है। यह बाधा बैंगाल की समुद्री हवाओं के साथ मिलकर मोटी बादल चादर और तीव्र शीतलन लाती है। दिल्ली में मौसमी तापमान 19.2°C‑31.8°C के बीच रहने की सम्भावना है, जो सामान्य अक्टूबर के औसत से थोड़ा हल्का लग रहा है।

इसी दौरान, उत्तरी प्रदेश (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) में लगभग 8‑11 mm की मौसमी औसत वर्षा की अपेक्षा की जा रही है, परंतु विशेषकर 6 अक्टूबर को ‘भारी‑बारिश’ और बौछार की चेतावनी दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये मोसम कृषि के लिए दो‑तीन दिन का फायदा और साथ ही जल‑संकट के जोखिम को बढ़ा सकता है।

विस्तृत मौसम पूर्वानुमान (5‑6 अक्टूबर)

5 अक्टूबर को अधिकांश उत्तर‑पश्चिमी क्षेत्रों में बिखरे बादल और हल्की बौछार की संभावना है, जबकि शाम‑डिनर समय में धुंध और हल्की गड़गड़ाहट सुनाई देगी। तापमान दुपहर में 30‑33°C तक पहुँच सकता है, पर रात में 19‑21°C तक गिर जाएगा।

6 अक्टूबर को स्थित‑स्थिति ‘भारी‑बारिश‑से‑बहुत‑भारी बारिश’ तक बदल सकती है। विशेषकर दिल्ली‑NCR, आगरा, वाराणसी, लखनऊ, श्रावस्ती, देहरादून, मनाली, और शिमला में तीव्र वर्षा और कभी‑कभी बर्फ़ीली बौछार की संभावना है। इस दिन हवाबादी के कारण विज़ली की रोशनी भी देखी जा सकती है। मौसम विभाग ने बताया कि 6 अक्टूबर के बाद 7 अक्टूबर से ही इस प्रतिबंधित बरसात में धीरे‑धीरे कमी आएगी।

साथ ही, Shakhti की गति पश्चिम‑आधारसागर में 80‑90 km/h तक पहुँच रही है, जिससे समुद्री लहरें उत्तरी भारत के तट पर भी असर डाल सकती हैं। किनारे पर स्थित नगरों में झटके एवं जल‑स्तर में अचानक वृद्धि की संभावना बनी हुई है।

प्रभावित क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएँ

प्रभावित क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएँ

दिल्ली में मौसम विभाग ने नागरिकों को बाढ़‑सुरक्षित रहने, जल‑संकट के समय पानी के स्रोतों को साफ़ रखने और कृषि‑खेतों में जल‑निकासी व्यवस्था जांचने की सलाह दी है। “किसानों को विशेष रूप से उलझन‑भरी बारिश के बाद जल‑निकासी के उपाय अपनाने चाहिए,” डॉ. नरेश कुमार ने कहा।

उत्तरी प्रदेश के जिलाधिकारी ने स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन एंट्री‑पॉइंट और राहत‑सहायता की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। उत्तराखंड में हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ़ीली बौछार से बाढ़‑खतरा बढ़ गया है, इसलिए ट्रैफ़िक नियंत्रण और स्नो‑वॉच की व्यवस्था भी तेज़ी से की जा रही है।

कृषि एवं दैनिक जीवन पर प्रभाव

इस सप्ताह की भारी बारिश से धान और गेंहू के खेतों में जल‑संतृप्ति का खतरा बढ़ता है, परंतु साथ ही जल‑संकटग्रस्त क्षेत्रों को समय पर सिंचाई प्रदान करने का सुनहरा मौका भी मिल सकता है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. अजय वर्मा का कहना है, “यदि किसानों ने सही समय पर जल‑निकासी किया तो फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सकता है।”

शहरी क्षेत्रों में ट्रैफ़िक जाम, बिजली कटौती और अस्थायी बंदोबस्त की आशंका है। दिल्ली के कई स्कूलों और कॉलेजों ने 6 अक्टूबर को आधे‑दिन की छुट्टी घोषित कर दी है, जबकि सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों ने यात्रा‑समय में 15‑30 मिनट की वृद्धि की सूचना दी है।

आगे की राह और मौसम की भविष्यवाणी

आगे की राह और मौसम की भविष्यवाणी

IMD ने बताया कि 7 अक्टूबर से ही पश्चिमी बाधा कमजोर होने के कारण मौसम धीरे‑धीरे सामान्य हो जाएगा। लेकिन अक्टूबर के बाकी हिस्से में 3‑8 बार वर्षा की संभावना बनी रहेगी, विशेषकर बायन बायन और मध्य‑पश्चिम भारत में। इसलिए, नागरिकों और प्रशासन को सतत् मॉनिटरिंग और मोहरे-बोरिंग उपायों को जारी रखना चाहिए।

मौसम विभाग ने अपना लॉंग‑रेंज फोरकास्ट 2025 के पोस्ट‑मॉनसून सीज़न के लिए जारी किया है, जिसमें जल‑स्रोत प्रबंधन, कृषि‑सिंचाई रणनीति और स्वास्थ्य‑सुरक्षा के दिशा‑निर्देश शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की विस्तृत सूचना से न सिर्फ फसल‑उत्पादन बल्कि जीवन‑गुणवत्ता में भी सुधार संभव है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस बारिश से किसान कैसे प्रभावित हो सकते हैं?

जल‑संतृप्ति से फसल के पौधे डुब सकते हैं, पर यदि किसान समय पर जल‑निकासी और सघन देखभाल करेंगे तो नुकसान कम हो सकता है। विशेषज्ञों ने तुरंत मिट्टी की जाँच और अतिरिक्त पोषक तत्वों की सलाह दी है।

शहरी क्षेत्रों में किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

बाढ़‑जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर रहें, जल‑रोक रखने वाले रास्तों को साफ़ रखें, और आपातकालीन जीपीएस‑संदेशों पर नजर रखें। साथ ही, बिजली की कटौती के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद रखना सुरक्षित रहेगा।

क्या शाक्ति सायक्लोन का भारत के तटीय शहरों पर कोई असर होगा?

सायक्लोन शाक्ति अभी पश्चिम‑आधारसागर में है, इसलिए गुजरात व महाराष्ट्र के तट पर लहरों की उँचाई में थोड़ी वद्धी के संकेत मिले हैं। यदि लहरें बढ़े तो किनारे पर छोटे‑बड़े जल‑जमाव की संभावना है, परन्तु इसका सीधा प्रभाव दिल्ली‑NCR पर सीमित रहेगा।

आगामी दिनों में मौसम कैसा रहेगा?

7 अक्टूबर से पश्चिमी बाधा कमजोर होगी, इसलिए हल्की धूप और कम वर्षा के साथ तापमान धीरे‑धीरे घटेगा। परंतु अक्टूबर के मध्य‑अंत में फिर से छोटे‑छोटे बारिश के अवसर आ सकते हैं।

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Swati Jaiswal
Swati Jaiswal
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।
  • Sandeep Chavan
    Sandeep Chavan
    6 अक्तू॰ 2025 at 20:53

    भाइयों और बहनों!!! आईएमडी की अलर्ट पढ़ी है? 5‑6 अक्टूबर को दिल्ली‑NCR में भारी बारिश आने वाली है, तो तैयार रहो!!! घर में पानी का बंदोबस्त करो, निकासी की व्यवस्था जाँचो, और सड़क पर फिसलन से सावधान रहो!!!

  • Sameer Srivastava
    Sameer Srivastava
    6 अक्तू॰ 2025 at 23:40

    यार, मौसम वाला भी आजकल मज़ाकिया हो गया है, हर बार एक नई चेतावनी!!

  • naman sharma
    naman sharma
    7 अक्तू॰ 2025 at 02:27

    जनाब, इस मौसम की अटकलें सिर्फ़ आकस्मिक नहीं बल्कि गुप्त सरकारी प्रयोगों की झलक हैं।
    वे कहते हैं पश्चिमी बाधा स्वाभाविक रूप से आती है, परंतु अचानक शाक्ति सायक्लोन का त्वरित विकास संकेत देता है कि कुछ गुप्त तकनीकें प्रयोग में लाई जा रही हैं।
    इसी कारण से राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस अवधि में सैटेलाइट मॉनिटरिंग को तीव्र कर दिया है।
    निगरानी डेटा से पता चलता है कि बरसात के पैटर्न में अनियमित रिफ्लेक्शन हुआ है, जो सामान्य मौसमी बदलाव नहीं हो सकता।
    और तो और, कई लोग देख रहे हैं कि इस समय में बिजली के गिरने की आवाज़ें सामान्य से अधिक तीव्र हैं, जो एंटी‑न्यून्य मेट्रिक सिद्धांत का समर्थन करती हैं।
    यदि आप ध्यान से देखें तो गैस टावरों के पास अनियमित विद्युत चुंबकीय क्षेत्रों की वृद्धि हो रही है।
    इसे नजरअंदाज करना बेतुका होगा, क्योंकि इससे भविष्य में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक आपदाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    इसीलिए मैं सुझाव देता हूँ कि सभी नागरिक अपने घरों में विद्युत उपकरणों को सुरक्षित मोड में रखें और अनावश्यक इलेक्ट्रॉनिक उपयोग से बचें।
    साथ ही, स्थानीय प्रशासन को तुरंत इस बारे में एक सार्वजनिक ब्रीफिंग जारी करनी चाहिए।
    आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है, परन्तु जानकारी का अभाव आपको असुरक्षित बना सकता है।
    विचार करें कि कितनी बार इस तरह की चेतावनियाँ वास्तविक कारणों से उत्पन्न होती हैं और कितनी बार वे एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा होती हैं।
    ऐसे समय में हमें अपनी सोच को सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे विस्तृत परिप्रेक्ष्य से देखना चाहिए।
    आख़िरकार, अगर यह सरकार की योजना नहीं तो कौन सी छिपी हुई ताकत इस मौसम को नियंत्रित कर रही है?
    इस प्रश्न का उत्तर ढूँढना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
    वास्तव में, इस बरसात में यदि हम सावधानी नहीं बरतते तो दीर्घकालिक आर्थिक क्षति भी हो सकती है।
    इसलिए, विज्ञानियों और नीति निर्माताओं को एक संयुक्त कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए, जहाँ इस घटना की जड़ों का समग्र विश्लेषण किया जाए।
    भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस तरह के परिदृश्य को समझना अत्यावश्यक है।

  • KRISHNAMURTHY R
    KRISHNAMURTHY R
    7 अक्तू॰ 2025 at 05:13

    भाइयों, देखो, IMD ने जो अपडेट दिया है उससे साफ़ पता चलता है कि हम सबको थोड़ा प्लान करना पड़ेगा।
    उदाहरण के तौर पर, अगर आप दिल्ली में हैं तो सुबह-सुबह अपने गांव या अपार्टमेंट की ड्रेनेज चेक कर लो।
    अगर कभी‑कभी अचानक प्रबल बारिश आती है, तो छोटे‑बड़े रास्तों पर पानी का स्तर जल्दी बढ़ जाता है।
    मैं सुझाव देता हूँ कि अपने पड़ोस के साथ मिलकर एक सामुदायिक फॉल्ट मैनेजमेंट टीम बनाओ, जिससे एमरजेंसी में सबको मदद मिल सके।
    और हाँ, अगर आप बाहर जा रहे हैं तो ट्रैफ़िक अपडेट पर नज़र रखें, कई जगहें स्नो‑वॉच के तहत बंद हो सकती हैं।
    देखो, ये सब टिप्स सिर्फ़ मेरे अनुभव पर आधारित नहीं, बल्कि कई विशेषज्ञों के रिसर्च पर भी हैं।
    सुरक्षा प्रथम है, इसलिए सभी को सतर्क रहने की ज़रूरत है। 😊

  • priyanka k
    priyanka k
    7 अक्तू॰ 2025 at 08:00

    ओह, बहुत ही पेशेवर तौर पर बात कर रहे हो, मुझसे भी बेहतर! लेकिन सच बताऊँ तो, इस बारिश में लग रहा है जैसे ट्रैफ़िक जाम में फंस गए हों। 😏

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