अज़ाम खान की रिहाई पर सामाजवादी पार्टी ने मिठाई बाँटी: मथुरा में जश्न का माहौल

अज़ाम खान की रिहाई पर सामाजवादी पार्टी ने मिठाई बाँटी: मथुरा में जश्न का माहौल

सामाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री अज़ाम खान की रिहाई ने राजनीति प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी। 23 सितंबर, 2025 को सिटापुर जेल से लगभग दो साल बाद इस नेता को आज़ादी मिली, जिससे पार्टी के भीतर और समर्थकों के बीच उत्सव की लहर दौड़ गई।

रिहाई के बाद का जश्न और मथुरा की सड़कों पर मिठाई वितरण

कई शहरों में, खासकर मथुरा में, सामाजवादी कार्यकर्ता झाड़ों में मिठाई बाँट कर खुशियों का इज़हार कर रहे हैं। स्थानीय मारकटा में सजे टीले पर मीठे लड्डू, बर्फी और रसमलाई के छोटे-छोटे डिब्बे वितरित किए जा रहे हैं। ये पहल पार्टी के युवा और महिला कार्यकर्ताओं ने मिलकर आयोजित की, जिससे आम लोगों में भी इस रिहाई की खुशी साझा हुई।

मथुरा के कई बाजारों में झुंड बनकर ख़ुशी जाहिर की गई, जबकि कुछ स्थानों पर स्पीकर्स पर 'न्याय की जीत' का नारा लगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य अज़ाम खान के अनुयायियों को यह संदेश देना था कि पार्टी उनका साथ देती रहेगी, चाहे वह जेल में हो या बाहर।

क़ानूनी पृष्ठभूमि और सुरक्षा की कड़ी कार्रवाई

क़ानूनी पृष्ठभूमि और सुरक्षा की कड़ी कार्रवाई

रिहाई से पहले कई औपचारिक बाधाएँ थीं। अज़ाम खान को दो मामलों में कुल ₹8,000 का जुर्माना था, जिसे उनके वकील सादनाम सिंह ने कोर्ट में भुगतान कर दिया। भुगतान के बाद जेल के अधिकारियों ने सत्यापन किया और फिर उन्हें रिहा किया गया।

क़ानूनी स्थिति को समझना जरूरी है: अज़ाम खान पर कुल 72 मामले चल रहे थे, जिनमें 19 मामलों में एमपी-एमएलए सत्र कोर्ट ने पहले ही जेल रिहाई का आदेश दे दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 सितंबर को क्वालिटी बार जमीनी विवाद में उन्हें बेतरतीबी से बेंचल जाने वाले ज़मीन के मामले में बायल दी, जिससे रिहाई की राह आसान हुई।

रिहाई के समय सुरक्षा का पूरा इंतज़ाम किया गया। जेल के बाहर भारी सुरक्षा तैनात थी और 144 धारा के तहत प्रतिबंध भी लागू थे। बावजूद इसके, पार्टी के नेता और समर्थक जेल के बाहर इकट्ठा हो कर स्वागत करते रहे। अज़ाम खान को उनके दो बेटे – अब्दुल्ला और अदीब – के साथ दो गाड़ियों में ले जाया गया, जिसका मार्ग विशेष सुरक्षा दल ने नियंत्रित किया।

  • कुल केस: 72
  • बायल वाले केस: 19
  • मुख्य विवादित मामला: क्वालिटी बार ज़मीनी घोटाला (रम्पुर)
  • रिहाई से पहले बकाया जुर्माना: ₹8,000

पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्य, जिनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान सांसद भी शामिल हैं, ने कहा कि अज़ाम खान के खिलाफ चल रहे मुकदमों को उन्होंने हमेशा राजनीतिक प्रतिशोध माना है। उनका मानना है कि इस रिहाई से पार्टी को नयी ऊर्जा मिलेगी और आगामी चुनावों में उनका प्रभाव बढ़ेगा।

जैसे ही अज़ाम खान रम्पुर पहुँचे, वहाँ भी उनके समर्थकों ने स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने पार्टी के विकास कार्य, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान देने का वादा दोहराया।

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Swati Jaiswal
Swati Jaiswal
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।

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