UN महासचिव ने बलूचिस्तान हमलों की कड़ी निंदा की
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 26 अगस्त को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में घटित हमलों की कड़ी निंदा की है। उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि गुटेरेस ने स्पष्ट किया है कि नागरिकों के खिलाफ हमले अस्वीकार्य हैं और इस प्रकार की हिंसा का कोई औचित्य नहीं है।
हमले की घटनाएं और परिणाम
बलूचिस्तान में एक साथ कई घटनाएं हुईं, जिनमें बहुत बड़ी संख्या में जानें गईं। सबसे प्रमुख हमला बेला, लासबेला जिले में हुआ, जहां प्रमुख हाईवे पर वाहनों को निशाना बनाया गया। दूसरा हमला मुसाखेल जिले में हुआ, जिसमें पंजाब के 23 नागरिकों को पहचान के बाद मार डाला गया। एक और गंभीर घटना कलात जिले में हुई, जहां पाँच पुलिसकर्मी और पाँच नागरिक मारे गए।
इन घटनाओं से प्रभावित हुए लोगों की संख्या बहुत बड़ी रही। इनमें 70 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें 14 सैनिक और पुलिसकर्मी, 21 आतंकवादी और अन्य निर्दोष नागरिक शामिल थे। बलूचिस्तान में हिंसा का यह तांडव न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरा सदमा है।
परिवहन और सुरक्षा पर प्रभाव
हमलों के परिणामस्वरूप बलूचिस्तान में रेल यातायात भी प्रभावित हुआ। बोलान में रेल पुल पर धमाके होने के कारण क्वेटा की ओर जाने वाली रेल सेवाएं निलंबित करनी पड़ीं। इसके अलावा, हमला स्थल के पास छह अज्ञात शव भी मिले।
BLA का दावा और सरकारी प्रतिक्रिया
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है और दावा किया कि उनका निशाना मिलिट्री पर्सनेल थे। हालांकि, पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि इन हमलों के शिकार निर्दोष नागरिक थे। इस विभाजन और हिंसा की घड़ी में, सरकार ने हमलों के पीड़ितों की मदद के लिए तेजी से कार्रवाई की और घायलों को डेरा गाजी खान के अस्पताल में स्थानांतरित किया।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और इन्हें 'बर्बर' बताया। उन्होंने वादा किया कि हमलों के दोषियों को न्याय के कटघरे तक लाया जाएगा। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने भी हमलावरों को सजा दिलाने का संकल्प लिया।
विपत्कालीन ऐतिहासिक संघर्ष और मानवीय अधिकार
बलूचिस्तान में विद्रोह की लंबी इतिहास रही है, जहां सशस्त्र समूह जैसे BLA अलगाव की मांग करते आए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान की इस आंदोलन के प्रति प्रतिक्रिया की आलोचना की है, जिनमें जबरन गायब करने और अन्य प्रकार के राज्य दमन शामिल हैं। इस दृष्टिकोण से देखने पर, बलूचिस्तान की घटनाएं मानवाधिकारों और राज्य द्वारा की गई कार्रवाइयों के बीच के तनाव को उजागर करती हैं।
UN महासचिव की संवेदना और आग्रह
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इन हिंसक घटनाओं पर गहरी संवेदना व्यक्त की है और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी सहानुभूति जताई है। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार से आग्रह किया है कि वे इस मामले की संपूर्ण और निष्पक्ष जांच करवाएं और दोषियों को न्याय दिलाएं।
इस सम्पूर्ण घटना ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा है और यह एक बड़ी चुनौती है कि इस प्रकार की हिंसा और अस्थिरता को कैसे खत्म किया जाए। बलूचिस्तान में शांति और स्थिरता कायम करना न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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