Nifty 25,000 से नीचे: पाँच लगातार गिरते दिन, निवेशकों के खर्चे में ₹9 लाख करोड़

Nifty 25,000 से नीचे: पाँच लगातार गिरते दिन, निवेशकों के खर्चे में ₹9 लाख करोड़

बाजार की मौजूदा स्थिति

भारतीय शेयर बाजार लगातार पाँच ट्रेडिंग सत्रों से नीचे की लकीर पर चल रहा है। Nifty ने 25,000 के महत्वपूर्ण स्तर को तोड़ दिया, जिससे निवेशकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ गई। इस क्रम में लगभग ₹9 लाख करोड़ की संपत्ति वाफ़ी गई, जो पिछले महीनों के रिकॉर्ड नुकसानों के बराबर है। बाजार में यह गिरावट 2025 के शुरुआती महीनों में शुरू हुए व्यापक क्रैश का निरंतर हिस्सा लगती है, जिसमें जनवरी में शुरुआती संकेत और फरवरी में सेंसैक्स का एक दिन में 1,000 पॉइंट से अधिक गिरना शामिल था।

फरवरी के अंत में Nifty ने कई बार समर्थन स्तर तोड़ें, और मार्च में एक छोटा उछाल दिखा, परन्तु वह भी अस्थायी रहा। वित्तीय सेवाएँ और टेक सेक्टर, जो पहले डिजिटल लेंडिंग और आयटी निर्यात से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, अब सबसे अधिक निचले स्तरों पर दिख रहे हैं।

कमी के कारण और आगे की संभावनाएँ

कमी के कारण और आगे की संभावनाएँ

इस गिरावट के पीछे कई कारक एक साथ काम कर रहे हैं। सबसे प्रमुख हैं विदेशी पोर्टफ़ोलियो निवेशकों (FII) की भारी निकासी, जो लगभग $21 बिलियन तक पहुंच गई। इस निकासी के पीछे वैश्विक अर्थव्यवस्था में slowdown, यूएस की महँगी मौद्रिक नीति, और यूएस डॉलर की ताक़त शामिल है। अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को अब विकसित बाजारों में बेहतर रिटर्न मिलने के कारण भारतीय इक्विटीज़ से दूर हो रहे हैं।

घरेलू स्तर पर महँगी महंगाई, बेरोज़गारी की चिंताएँ और नीति निर्धारण में अस्पष्टता ने निवेशकों के भरोसे को और कमजोर किया है। इन सबके साथ, कुछ कंपनियों का सामना साइबर‑अटैक जैसे अनपेक्षित जोखिमों से भी हो रहा है, जिससे उत्पादन में रुकावट और बड़ी वित्तीय क्षति हुई है।

  • वेज़िल कोर आर्थिक संकेतकों में ढील – यूएस में इन्फ्लेशन की निरंतर वृद्धि और ब्याज दरों में बढ़ोतरी।
  • FII की निकासी – $21 बिलियन की बड़ी राशि जो भारतीय equities से बाहर जा रही है।
  • डॉलर की ताक़त – विदेशी निवेशकों को बेहतर रिटर्न वाले बाजारों की ओर आकर्षित करना।
  • घरेलू नीति अस्थिरता – वित्तीय नीतियों में स्पष्टता की कमी और आर्थिक reforms में देरी।
  • कॉर्पोरेट स्तर पर चुनौतियाँ – साइबर अटैक, उत्पादन रुकावट, और बीमा कवरेज की कमी।

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए RBI ने रुपये को स्थिर करने हेतु बाजार में हस्तक्षेप किया, जबकि SEBI ने अत्यधिक उतार‑चढ़ाव को रोकने के लिए ट्रेडिंग सीमाओं को कड़ा किया। सरकार भी विभिन्न प्रोत्साहन उपायों पर विचार कर रही है, जिसमें टैक्स रिवॉर्ड और लिक्विडिटी सपोर्ट पैकेज शामिल हैं।

बाजार विशेषज्ञ अभी भी इस बात पर मतभेद रखते हैं कि आगे की दिशा क्या होगी। कुछ का मानना है कि यदि वैश्विक आर्थिक माहौल सुधरता है, तो विदेशी पूँजी फिर से भारतीय बाजार में प्रवाहित होगी। जबकि अन्य कहते हैं कि घरेलू नीति में ठोस बदलाव और निवेशकों का भरोसा वापस बनाना ही मुख्य उपाय होगा।

साथ ही, रिटेल निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। बड़े नुकसान के बाद कई छोटे निवेशकों ने अपना पोर्टफ़ोलियो पुनः व्यवस्थित किया है, और अब वे जोखिम‑संकल्पित निवेश विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान, उपभोक्ता भावना में भी गिरावट आई है, जिससे व्यापक आर्थिक पुनरुद्धार में कुछ देरी हो सकती है।

Nifty FII स्टॉक मार्केट गिरावट भारतीय शेयर बाजार
Swati Jaiswal
Swati Jaiswal
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।

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