न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का न्यायालय में स्वागत
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का सबसे उच्च स्थान, मुख्य न्यायाधीश, आज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने संभाल लिया है। सोमवार, 11 नवंबर, 2024 को, उन्होंने न्यायालय में अपनी पहली कार्यवाही की। इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
राष्ट्रपति भवन में गरिमा का आलोक
राष्ट्रपति भवन का प्रांगण इस दिन विशेष रूप से जगमगा रहा था। शपथ ग्रहण समारोह के लिए यहाँ प्रमुख व्यक्तियों का आगमन हुआ था। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। समारोह का आयोजन इसके सभी पारंपरिक आदर्शों के अनुसार हुआ। न्यायमूर्ति खन्ना ने राजकीय पोशाक में राष्ट्रपति के सामने भारत की संविधान के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।
संवेदनशीलता के प्रति अदम्य संकल्प
न्यायमूर्ति खन्ना ने कार्यभार संभालते ही अदालत में अपनी संवेदनशीलता का प्रमाण दिया। उन्होंने अपने साथी न्यायमूर्ति संजय कुमार के साथ दुसरी करवाईओं का नेतृत्व किया और उपस्थित वकीलों को धन्यवाद ज्ञापित किया। उनके प्रति वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सफल कार्यकाल की शुभकामनाएँ दीं। जैसे ही एक बार नेता ने मामलों की सुनवाई के क्रम को लेकर कोई मुद्दा उठाया, न्यायमूर्ति खन्ना ने इस पर विचार करने की घोषणा की। ये प्रमाण है कि वे न्याय के प्रति संवेदनशील और संवादशील हैं।
मुख्य न्यायाधीश के लिए नियुक्ति का महत्व
न्यायमूर्ति खन्ना का इस पद पर नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें अपने पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की जगह पर नियुक्त किया गया है, जिन्होंने गत रविवार को अपने पद से विदाई ली। न्यायमूर्ति खन्ना का कोर्ट में वकीलों और न्यायाधीशों द्वारा स्वागत किया गया, जो उनकी नई जिम्मेदारी में उनके प्रति उच्च विश्वास दर्शाता है। वकीलों ने उनके प्रयासों की प्रशंसा की और उनके नेतृत्व में न्याय प्रणाली की बेहतरी की उम्मीद जताई।
छ: महीने का कार्यकाल
न्यायमूर्ति खन्ना 65 वर्ष की आयु तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर बने रहेंगे, जो इस साल मई में उनके सेवानिवृत्ति के रूप में समाप्त होगा। इस अवधि के दौरान वे देश के न्याय प्रणाली में सुधार और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे न्यायालय के मामलों के संचालन में पारदर्शिता और दृढ़ता से नेतृत्व करें। उनके कार्यकाल का प्रभाव दीर्घकालिक होगा, और यह देखना रोचक होगा कि वे न्याय की सेवा में किस प्रकार योगदान करेंगे।
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