अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत यह पहली दिवाली न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दिवाली को विशेष बताया है, जिसे इस अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जा रहा है। इसकी महत्ता सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश के हिंदुओं के लिए है, जिन्होंने 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद इस पावन क्षण का गवाह बनने का अवसर पाया है।
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, अयोध्या धाम में यह पहला मौका है जब दिवाली का उत्साह अपने चरम पर है। पूरे अयोध्या शहर को दीपोत्सव के दौरान लगभग 25 लाख दीयों से रौशन किया गया। इस भव्य आयोजन ने हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचा। प्रत्येक कोने में सजावट और आरती ने इस आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया। लोगों के चेहरों पर खुशी और उनकी आस्था का अटूट समर्पण दृष्टिगोचर हुआ।
यह दिवाली न सिर्फ़ अयोध्या के लिए खास थी, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए भी एक प्रमोदक अवसर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिवाली को ऐतिहासिक बताते हुए इसे राम मंदिर के संबंध में नई शुरुआत के रूप में इंगित किया। यह आयोजन इस बार न सिर्फ़ धार्मिक उत्तमत्व का संकेतक था बल्कि यह भी दर्शाता था कि समय के साथ कैसे आस्था और विश्वास के द्वारा इतिहास का नया पृष्ठ लिखा जा सकता है। यह एक यादगार पल था जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतिनिधित्व करती है जो पूरे देश की भावना को छूती है। अयोध्या में इस दिवाली का अनुगूंज न केवल हिन्दू समाज बल्कि सभी भारतीयों के मन में गर्व और आदर का भाव लाया है। इस विशेष अवसर पर आयोजित समारोह न केवल रामभक्तों के लिए विशेष था, बल्कि इसने भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का भी उत्सव मनाया।
इस प्रकार, यह दिवाली एक विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ सम्पन्न हुई, जिससे अयोध्या में नई ऊर्जा का संचार हुआ। इस दिवाली ने अयोध्या को एक नये अध्याय की ओर अग्रसर किया और इस राम मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को एक नई परिभाषा दी। भविष्य में यह आयोजन न केवल अयोध्या बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए प्रेरणा का माध्यम बनेगा।
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