मैच की प्रमुख बातें
20 दिसंबर को हुआ सुपर फोर मुकाबला भारत और श्रीलंका के बीच U19 महिला एशिया कप की एक यादगार स्टेज बन गया। कर्णधार निकी प्रसाद ने टॉस जीत कर पहले गेंदबाज़ी का विकल्प चुना, और यही फैसला मैच की दिशा तय कर गया। भारतीय गेंदबाज़ों ने श्रीलंका को 98/9 पर रोक दिया, जिससे भारत को 102 का लक्ष्य मिला।
एयुषी शुक्ला की चार overs में 4/10 की शानदार प्रदर्शन ने श्रीलंका की लाइन‑अप को झटके में डाल दिया। बाएं हाथ की इस स्पिनर ने अपने variations और सटीकता से लगातार विकेट लिए, जबकि साथी पर्निका सिसोदिया ने अतिरिक्त दो विकेट जोड़कर दबाव को और बढ़ाया।
- एयुषी शुक्ला – 4 विकेट, 10 रन (4 ओवर)
- पर्निका सिसोदिया – 2 विकेट, 12 रन (4 ओवर)
- श्रीलंका का टॉप स्कोरर – मनुड़ी नानायकारा, 33 रन
- श्रीलंका की सर्वश्रेष्ठ साझेदारी – नानायकारा और सेंसाला (22 रन)
श्रीलंका के लिए सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती ओवर में खुली, जहाँ सन्जना कविंदी ने केवल 9 रन और हिरुनी हैंसिका ने 2 रन ही बनाए। दोनों ओपनर एक साथ सिर्फ 12 गेंदों में आउट हो गए, जिससे टीम को जल्दी ही फिरकी मिली। नानायकारा और सेंसाला की 22‑रन वाली साझेदारी कुछ क्षणों के लिए आशा जगाई, पर सेंसाला के रन‑आउट ने भारत को आसान लक्ष्य पर ले आया।
भारत के लिए शुरुआती झटका आया जब ओपनर इश्वरी अस्वर ने तीसरी गेंद ही खुद को रन‑आउट कर बैठी। फिर भी, टीम ने तुरंत रुकावट को दूर किया। खोलन, गिंगू, और गोपी ने क्रमशः 20‑30 रन के छोटे‑छोटे अंश जोड़े, जिससे लक्ष्य का पीछा आसान हो गया। अंत में 102/6 को 14.5 ओवर में प्राप्त किया, जबकि 31 गेंद शेष बची थीं।

आगे का रास्ता और टीम का परिप्रेक्ष्य
इस जीत के साथ भारत ने फाइनल में बांग्लादेश का सामना करने का द्वार खोल लिया। दोनों टीमें अब तक बिना हार के टूर्नामेंट में आगे बढ़ी हैं, इसलिए फाइनल एक मौलिक मुकाबला बनने वाला है। भारत के कोच ने टीम के संतुलन पर जोर दिया—बॉलिंग में स्पिन की ताकत और बैटिंग में युवा ऊर्जा का मिश्रण।
एयुषी शुक्ला जैसे उभरते सितारे दिखा रहे हैं कि भारतीय women's cricket में गहराई है। उनके चार‑विकेट वाले प्रदर्शन ने न केवल मैच बदल दिया, बल्कि उनके करियर को भी एक नई दिशा दी। भविष्य में उन्हें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देखे जाने की संभावना है।
टीम के अन्य खिलाड़ी भी इस मंच पर अपना जलवा बिखेर रहे हैं। कप्तान निकी प्रसाद ने मैदान में निर्णय लेने की जल्दी और मैदान के बाहर टीम को संगठित रखने की क्षमता दिखाई। उनके नेतृत्व में, भारतीय दल ने दबाव को संभालते हुए हर चुनौती को अवसर में बदला।
बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल में कौनसा रणनीति अपनाई जाएगी, यह देखना दिलचस्प रहेगा। यदि भारतीय लड़ाकू भावना और स्पिनिंग कौशल को सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो शीर्षक उनके पास ही रहेगा। इस मोड़ पर हर खिलाड़ी को अपनी भूमिका समझनी होगी—जैसे शुक्ला की बॉलिंग, अस्वर की चुस्ती, और मध्य क्रम के बल्लेबाजों की स्थिरता।
टूर्नामेंट का यह चरण युवा महिलाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुभव का सुनहरा अवसर बन गया है। यहाँ से कई खिलाड़ी भारत की senior टीम में जगह बना सकते हैं। अब बस एक ही बात बची है—फ़ाइनल में खेलने का मैदान, जहाँ जीत का मज़ा दोहरा होगा: एक तरफ़ टाइटल, और दूसरी तरफ़ युवा सपनों की ताज़गी।
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