उत्ताराखण्ड हाई कोर्ट ने फाउंडेशन डे रद्द कर 1.5 करोड़ आपदा राहत में दान किए

उत्ताराखण्ड हाई कोर्ट ने फाउंडेशन डे रद्द कर 1.5 करोड़ आपदा राहत में दान किए

फाउंडेशन डे रद्द, बजट को राहत निधि में बदलने का अहम फैसला

उत्ताराखण्ड के नैनिताल स्थित हाई कोर्ट ने 25 सितंबर, 2025 को एक विशेष नोटिफिकेशन जारी किया। रेजिस्ट्रार जनरल योगेश कुमार गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर बताया कि कोर्ट ने इस साल के फाउंडेशन डे और सिल्वर जुबिली समारोह को रद्द कर दिया है। पहले से ही सरकार ने इन कार्यक्रमों के लिए 1.5 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे, जिन्हें अब पूरी तरह से मुख्यमंत्री के राहत कोष में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

न्यायिक संस्था ने बताया कि हालिया बाढ़, भूकंप और पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रहे लैंडस्लाइड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से कई परिवार बँधे हुए हैं। ऐसी स्थितियों में भव्य उत्सव की तुलना में राहत कार्यों को प्राथमिकता देना, न्यायपालिका की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।

जजों और कर्मचारियों की व्यक्तिगत सहभागिता

बजट के अलावा, कोर्ट के उच्च न्यायाधीश, रजिस्ट्रार और अन्य न्यायिक अधिकारी भी एक दिन की बुनियादी वेतन स्वयं दान करेंगे। यह योगदान सर्वत्र आदर्श स्थापित करने वाला माना जा रहा है; क्योंकि यह न सिर्फ संस्थागत स्तर पर मदद का संकेत देता है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी संवेदनशीलता को उजागर करता है।

सूचना पत्र में यह भी कहा गया कि दान की राशि को सीधे मुख्यमंत्री के राहत कोष में भेजा जाएगा, ताकि वह तत्काल आपदा‑ग्रस्त क्षेत्रों में पुनर्वास, स्वास्थ्य देखभाल और आपूर्ति सामग्री के रूप में उपयोग किया जा सके। अदालत ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि इस फंड को लक्ष्य‑उन्मुख तरीके से वितरित किया जाए, ताकि सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों को तुरंत मदद मिल सके।

उत्ताराखण्ड में पिछले दो सालों में कई बार बाढ़ और भूस्खलन से तबाही हुई है। 2023 में हुई बाढ़ में लगभग 1,200 परिवार बिनघर हो गए थे, जबकि 2024 में फिर आए लैंडस्लाइड ने 500 से अधिक लोगों को प्रभावित किया। ऐसी क्रमबद्ध आपदाओं के चलते स्थानीय प्रशासन ने अक्सर संसाधन की कमी का सामना किया है, इसलिए अतिरिक्त 1.5 करोड़ रुपये की वसूली के साथ, राहत कार्यों को तेज़ी से अंजाम देने की उम्मीद है।

इस कदम को सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों ने भी सराहा है। कई NGOs ने बताया कि उन्होंने कोर्ट की पहल को "सच्ची न्यायिक भावना" कहा और उम्मीद जताई कि अन्य सरकारी और गैर‑सरकारी संस्थाएँ भी इस उदाहरण का अनुसरण करेंगी।

इसी बीच, कोर्ट के प्रमुख न्यायाधीश ने कहा कि भविष्य में भी ऐसी किसी भी परिस्थिति में जहाँ जनता को तत्काल सहायता की जरूरत हो, कोर्ट अपनी संस्थात्मक शक्ति का प्रयोग कर मदद पहुँचाने को तैयार रहेगा। यह घोषणा न केवल उत्तराखण्ड के लोगों के लिए एक राहत की ख़बर है, बल्कि पूरे देश के लिये एक प्रेरणा भी बन सकती है।

उत्ताराखण्ड हाई कोर्ट फाउंडेशन डे 1.5 करोड़ आपदा राहत
Swati Jaiswal
Swati Jaiswal
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।

एक टिप्पणी लिखें

प्रमुख पोस्ट

हाल की पोस्ट