टी20 वर्ल्ड कप में विकेटकीपिंग का नया चेहरा: एमएस धोनी का जलवा
टी20 वर्ल्ड कप की जब भी बात होती है, तो कप्तान के तौर पर MS धोनी के नाम की चर्चा सबसे ऊपर होती है। लेकिन असली कमाल उनके विकेटकीपिंग में भी देखने को मिला है। धोनी ने 33 मैचों में 32 बार बल्लेबाजों को आउट किया—21 कैच और 11 स्टंपिंग के साथ। उनकी फुर्तीली उंगलियां और झटपट निर्णय लेने की क्षमता ने विकेटकीपिंग के मायनों को ही बदल दिया। खास बात ये है कि साल 2007 में जब भारत ने पहली बार टी20 वर्ल्ड कप जीता, धोनी का दबदबा साफ नजर आया। स्टंप के पीछे उनका अजीबोगरीब चुप्पा रिएक्शन, बल्लेबाज को पलक झपकते ही आउट कर जाता था। और यही लाजवाब फुर्ती साल 2011 वर्ल्ड कप ट्रॉफी तक कायम रही।
धोनी सिर्फ कैच पकड़ने या स्टंपिंग करने के लिए नहीं जाने जाते। उनका गेम आकलन और फील्ड चीफ की भूमिका ने बाकी विकेटकीपर्स को भी सीख दी – किस तरह से प्रेशर में शांत रहना है, और कब तगड़ा रिस्क लेकर गेम पलटना है। उन्हीं की वजह से आज की युवा पीढ़ी के विकेटकीपर्स आक्रामक और ऊर्जावान दिखते हैं।
अन्य विकेटकीपर्स की भी रही चमक
अगर दूसरे सफल विकेटकीपर्स की बात करें, तो पाकिस्तान के कामरान अकमल ने 30 आउट (12 कैच, 18 स्टंपिंग) के साथ धोनी को कड़ी टक्कर दी है। 2009 में पाकिस्तान की वर्ल्ड कप जीत में उनकी चौकसी और आक्रामक अंदाज में कई मैचों का रुख बदल दिया। कामरान के स्टंपिंग करने अंदाज को देखना किसी हाई स्पीड एक्शन सीन जैसा था, जहां बल्लेबाज को मौका ही नहीं मिलता था।
श्रीलंका के कुमार संगकारा (26 आउट) अपनी स्टाइल और सटीक सोच के लिए पहचाने जाते हैं। वेस्टइंडीज के डेनेश रामदिन (27 आउट) की ऊर्जा और पिच पर उनकी चीयरिंग स्टाइल ने टीम में जोश भरा। वहीं दक्षिण अफ्रीका के क्विंटन डी कॉक (23 आउट) की एथलेटिस्म और चपलता ने ऑडियंस को कई बार हैरान किया। वे छोटे-छोटे मूवमेंट्स और पानी की तरह फुर्तीले स्टंपिंग के लिए फेमस हैं।
- MS धोनी – 32 डिसमिसल्स (21 कैच, 11 स्टंपिंग)
- कामरान अकमल – 30 डिसमिसल्स (12 कैच, 18 स्टंपिंग)
- डेनेश रामदिन – 27 डिसमिसल्स (18 कैच, 9 स्टंपिंग)
- कुमार संगकारा – 26 डिसमिसल्स (12 कैच, 14 स्टंपिंग)
- क्विंटन डी कॉक – 23 डिसमिसल्स (13 कैच, 10 स्टंपिंग)
इन सबका अपना स्टाइल है—कोई आक्रामक, कोई शांत और कोई बेहद आत्मविश्वासी। लेकिन धोनी की बात ही अलग है। विकेटकीपिंग के साथ-साथ कप्तानी में उनकी सोच, टेक्निकल हुनर और मैदान पर अपार भरोसे ने उन्हें इस फेहरिस्त में शीर्ष पर रखा है। आज भी युवा विकेटकीपर उनके वीडियो देखकर सीखते हैं कि कैसे सेकेंड के हिस्से में चमत्कार किया जा सकता है। क्रिकेट इतिहास में विकेटकीपर की भूमिका इतनी अहम पहले कभी नहीं दिखी थी, जितनी धोनी के दौर में हुई।
एक टिप्पणी लिखें