संसद बजट सत्र 2025 की शुरुआत
संसद का बजट सत्र 2025 की शुरुआत 31 जनवरी, 2025 को हुई, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। राष्ट्रपति के इस उद्बोधन में सरकार की आगामी नीतियों और प्राथमिकताओं को पेश किया गया। यह सत्र भारत के आर्थिक भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा और आवश्यक फैसले लिए जाएंगे।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में इस बार अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने समावेशी विकास, ग्रामीण विकास और आर्थिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। विशेष रूप से, उन्होंने कृषि सुधारों, शिक्षा क्षेत्र में नए अवसरों की उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढीकरण पर बात की। साथ ही, उन्होंने महिला सशक्तिकरण को विशेष महत्व दिया और कहा कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25
राष्ट्रपति के संबोधन के बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 प्रस्तुत किया। यह सर्वेक्षण भारत की आर्थिक प्रगति की आधिकारिक रूपरेखा प्रदान करता है और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नीतिगत सिफारिशें सामने लाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने की भविष्यवाणी की गई है। यह संकेतमिलक है कि भारतीय अर्थव्यवस्था भले ही धीरे-धीरे परंतु मजबूती से वृद्धि कर रही है। अर्थव्यवस्था की मूलभूत संरचना मजबूत बनी हुई है, जिसमें बाहरी खाता स्थिर है, वित्तीय समेकन को नियंत्रित तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है, और निजी उपभोग भी स्थिर बना हुआ है।
सत्र का पहला और दूसरा चरण
बजट सत्र का आयोजन दो चरणों में किया जाएगा। सत्र का पहला हिस्सा फरवरी 13 को समाप्त होगा और कुछ समय के लिए अवकाश के बाद यह 10 मार्च से पुनः आरंभ होगा। इस बार सत्र के लिए 19 विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और वित्त विधेयक, 2025 शामिल हैं।
यह सत्र सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसमें कई प्रमुख आर्थिक और नीतिगत मुद्दों पर निर्णय होना है। विपक्षी दल भी इस सत्र में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की योजना बना रहे हैं।
विपक्ष का मंतव्य और संभावनाएं
विपक्षी दल बजट सत्र के दौरान सरकार से महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर जवाब मांगेंगे। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाएगी और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ेगी। विपक्ष का आरोप है कि मौजूदा नीतियों के चलते आम जनता को बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
चर्चा का स्तर ऊँचा होगा, और इसकी वजह से बजट सत्र का महत्व और भी बढ़ जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस बार की चर्चा नई नीतियों के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकती है। सरकारी संस्थानों की पारदर्शिता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया जा सकता है।
सरकार की तैयारी
संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने आश्वासन दिया है कि सरकार सदन के नियमों के अनुसार किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके नेतृत्व में सरकार जनता की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और वह किसी भी मुद्दे पर पारदर्शिता से चर्चा करने को तैयार रहती है।
सरकार की योजना है कि जो विधेयक इस सत्र के दौरान पेश किए जाएंगे, वे सभी पारित हों और उनमें कुछ भी छूट न जाए। इस बार के बजट सत्र को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है और यह देश की वित्तीय स्थिति और संभावनाओं को दर्शाने का काम करेगा।
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