जम्मू और कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव
जम्मू और कश्मीर की राजनीति में हाल के दिनों में एक बड़ा परिवर्तन आया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने राज्य विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल कर लिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने यह घोषणा की कि ओमर अब्दुल्ला राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। यह घोषणा 8 अक्टूबर 2024 को की गई, जब चुनाव परिणाम जारी हो रहे थे। इस घोषणा ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने के बाद उत्पन्न राजनीतिक हालात में एक नई दिशा दी है।
ओमर अब्दुल्ला की जीत की कहानी
ओमर अब्दुल्ला, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं, ने चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने बडगाम सीट पर पीडीपी के उम्मीदवार आगा सैयद मुंतज़िर मेहन्दी को 16,000 से अधिक मतों से हराया। इसके अतिरिक्त, गंदरबल सीट पर भी वे 5,000 से अधिक मतों की बढ़त बनाए हुए हैं। यह जीत राज्य की राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका मतलब है कि अब राज्यपाल और उनके सलाहकार राज्य के कामकाज को नहीं चलाएंगे, बल्कि 90 सदस्यीय विधान सभा के माध्यम से राज्य की गवर्नेंस होगी।
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव
यह चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद का पहला चुनाव है, जिसमें जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था और इसे एक केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया था। इस बदलाव ने राज्य की राजनीति में बहुत हलचल मचाई थी, और इस चुनाव के परिणाम उस फैसले के खिलाफ जनता की राय को प्रदर्शित करते हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह परिणाम केंद्र सरकार के 5 अगस्त 2019 के निर्णय को जनता के द्वारा खारिज करने का स्पष्ट संकेत है।
नई सरकार की प्राथमिकताएँ
नई सरकार के गठन के बाद, ध्यान अब उन मुख्य मुद्दों पर होगा जो राज्य के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि नई सरकार बेरोजगारी को कम करने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह मुद्दे राज्य के विकास में सबसे बड़े अवरोधक हैं और इन्हें हल करना अत्यावश्यक है। राज्य में नई सरकार के गठन से इन मुद्दों पर तत्काल ध्यान दिया जाएगा।
गठबंधन की सफलता
एनसी और कांग्रेस के गठबंधन ने 43 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि भाजपा 28 सीटों पर पीछे है, और कांग्रेस 6 सीटों पर आगे है। इस गठबंधन की योजना भाजपा को चुनाव में चुनौती देने की थी, और उन्हें इसमें सफलता मिली। पीडीपी ने हालांकि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था, लेकिन उन्होंने इस चुनाव में प्रभावशाली परिणाम नहीं दिए। इस गठजोड़ की सफलता ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के लिए राजनीतिक सूझ-बूझ साबित की है।
लोगों की आकांक्षाएँ और नई उम्मीदें
राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही लोगों की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। उनके पास उम्मीदें हैं कि नई सरकार उनके जीवन में सुधार लाएगी और उन्हें वह सुरक्षा और भविष्य का भरोसा देगी जिसकी उन्हें दरकार है। महत्वपूर्ण निर्णयों के साथ-साथ, सरकार को जनता के कार्यों और समस्याओं के समाधान का भी ठोस प्रयास करना होगा। इस नई शुरुआत ने राज्य के लोगों को एक नई उम्मीद की किरण दिखाई है।
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