भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा: स्किल और टैलेंट की गतिशीलता पर चर्चा

भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा: स्किल और टैलेंट की गतिशीलता पर चर्चा

भारत और रूस के बीच हो रही चर्चाएं न केवल दोनों देशों के बीच के संबंधों को सशक्त बनाने का प्रयास करती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत आर्थिक साझेदारी की दिशा में कदम बढ़ाती हैं। हाल ही में हुए 22वें द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में, दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के बारे में विशेष रूप से चर्चा की। उद्देश्य के तौर पर, गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को दूर करना, राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग कर द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास और ऊर्जा, बुनियादी ढांचा विकास, और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में निवेश का प्रचार करना प्रमुख बिंदु रहे।

व्यापार और निवेश की संभावनाएं

मुख्य चर्चाओं का एक हिस्सा व्यापार और निवेश करने की संभावनाओं को प्रमुख रूप से आगे बढ़ाने पर केंद्रित था। इसके अंतर्गत, दोनों देशों ने यह मान्यता दी कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनेक बाधाएं होती हैं जो अक्सर गैर-शुल्की होती हैं। इन बाधाओं का निष्कासन व्यापार को आसानी से बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है। इसी दिशा में, व्यवसायिक सुगमता के लिए एक प्रभावी प्रणाली के निर्माण पर ज़ोर दिया गया जो राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटान की सुविधा प्रदान करे। इसके अलावा, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा विकास जैसे क्षेत्रों में निवेश अवसरों का प्रचार करके दीर्घकालिक विकास के लिए आधार तैयार करना भी अत्यावश्यक है।

आर्थिक सहयोग का विस्तार

आर्थिक सहयोग का विस्तार

वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और अनिश्चितताओं के बीच, भारत और रूस का प्रयास अपने आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करना है। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू पारस्परिक संवाद और सहयोग के माध्यम से दोनों देशों के क्षेत्रों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना है। विशेषरूप से, रूसी सुदूर पूर्वी क्षेत्र और भारतीय राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर व्यापार, शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने की दिशा में पहल की गई है। ये साझेदारियां न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभप्रद होंगी, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षणिक विनिमय के माध्यम से भी लाभ प्रदान करेंगी।

नई संभावनाओं का अन्वेषण

नई संभावनाओं का अन्वेषण

चर्चाओं में इस बात पर भी सहमति जताई गई कि दोनों देश नए सहयोग के अवसरों की खोज जारी रखेंगे। इन अवसरों में शैक्षणिक और वैज्ञानिक संगठनों के बीच साझेदारी का विकास, और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है। इसका उद्देश विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करना और साझा तकनीकी नवाचारों के लिए एक मंच तैयार करना है। यह साझेदारी केवल द्विपक्षीय संबंधों को ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक नए तरह के सहयोग का उदाहरण बनेगी।

भविष्य के लक्ष्य

भविष्य के लक्ष्य

दोनों देशों की सरकारें 2030 तक पारस्परिक व्यापार की मात्रा को $100 बिलियन से अधिक तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, दोनों देशों के नेताओं ने संबंधित एजेंसियों को 2030 तक भारतीय-रूसी आर्थिक सहयोग के संभावित क्षेत्रों के विकास के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया है।

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रूपी शर्मा
रूपी शर्मा
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।

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